भोपाल गैस पीड़ितों के लिए बने भोपाल मेमोरियल हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर को कोरोना अस्पताल में परिवर्तन करने को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए मंगलवार को पुन: एक अर्जी दाखिल की गई। आवेदन में कोर्ट को बताया गया कि अब तक भोपाल में कोरोना से जिन 4 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 3 गैस पीड़ित थे। भोपाल में साढ़े तीन लाख गैस पीड़ित हैं जिनका इलाज चल रहा है। गैस प्रभावितों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है और अगर उन्हें सुरक्षित और समय पर इलाज नहीं मिला तो बड़ी मुसीबत हो सकती है। आवेदन में कहा गया कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है इसलिए हाईकोर्ट इसमें हस्तक्षेप करते हुए आदेश जारी करे।
नरेश खटीक, जगन्नाथ मैथिल और इमरान गैस प्रभावित थे जो बीएमएचआरसी और एम्स में इलाज ले रहे थे। तीनों की मौत कोरोना से हुई। इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान 4 अन्य गैस प्रभावितों को बीएमएचआरसी से डिस्चार्ज कर दिया गया और इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। इनमें से एक याचिकाकर्ता मुन्नी बी शामिल हैं।
भोपाल मेमोरियल को कोराेना संक्रमितों के लिए रिजर्व किए जाने का हो रहा विरोध
भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉरमेशन एण्ड एक्शन ने मुख्यपीठ जबलपुर में याचिका दाखिल कर दी है। इसके अलावा भोपाल गैस पीड़ित महिला सहयोग समिति ने भी एक अंतरिम आवेदन पेश किया है। दोनों ही मामलों में सरकार के उस आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है जिसमें बीएमएचआरसी को केवल कोरोना संक्रमित मरीजों के अस्पताल में कन्वर्ट करने कहा गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को इस मामले में मप्र हाईकोर्ट में याचिका पेश करने की अनुमति याचिकाकर्ता को दी थी। याचिका दायर कर बताया कि 22 मार्च को मप्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी कर बीएमएचआरसी को केवल कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए विशेष अस्पताल में परिवर्तित कर दिया। इसके बाद 24 मार्च को अस्पताल के संचालक ने स्टाफ को आदेश जारी कर कहा कि अगले आदेश तक हाॅस्पिटल में कोरोना मरीजों के अलावा अन्य सभी स्वास्थ्य सेवाएं बंद रहेंगी। याचिका में सरकार के उक्त आदेश को संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 19 का उल्लंघन बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जहांगीराबाद स्थित गैस राहत अस्पताल या अन्य किसी अन्य अस्पताल को विशेष अस्पताल बनाया जाए।